Saturday 26 March 2011

आजकी मुरली



[26-03-2011]
मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - चुप रहना भी बहुत बड़ा गुण है, तुम चुप रहकर बाप को याद करते रहो तो बहुत कमाई जमा कर लेंगे''
प्रश्न: कौन से बोल कर्म सन्यास को सिद्ध करते हैं, वह बोल तुम नहीं बोल सकते?
उत्तर: ड्रामा में होगा तो कर लेंगे, बाबा कहते यह तो कर्म सन्यास हो गया। तुम्हें कर्म तो अवश्य करना है। बिना पुरूषार्थ के तो पानी भी नहीं मिल सकता, इसलिए ड्रामा कहकर छोड़ नहीं देना है। नई राजधानी में ऊंच पद पाना है तो खूब पुरूषार्थ करो।
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) किसी देहधारी के नाम रूप में नहीं फंसना है। एक बाप की श्रीमत पर चलकर सद्गति को पाना है। चुप रहना है।
2) भविष्य 21 जन्मों के लिए अच्छी रीति पढ़ना और दूसरों को पढ़ाना है। पढ़ने और पढ़ाने से ही नाम बाला होगा।
वरदान: अपने श्रेष्ठ स्वरूप वा श्रेष्ठ नशे में स्थित रह अलौकिकता का अनुभव कराने वाले अन्तर्मुखी भव
जैसे सितारों के संगठन में विशेष सितारों की चमक दूर से ही न्यारी प्यारी लगती है, ऐसे आप सितारे साधारण आत्माओं के बीच में एक विशेष आत्मा दिखाई दो, साधारण रूप में होते असाधारण वा अलौकिक स्थिति हो तो संगठन के बीच में अल्लाह लोग दिखाई पड़ेगे। इसके लिए अन्तर्मुखी बनकर फिर बाहरमुखता में आने का अभ्यास हो। सदैव अपने श्रेष्ठ स्वरूप वा नशे में स्थित होकर, नॉलेजफुल के साथ पावरफुल बनकर नॉलेज दो तब अनेक आत्माओं को अनुभवी बना सकेंगे।
स्लोगन: रावण की जायदाद साथ में रख ली तो दिल में दिलाराम ठहर नहीं सकता। 

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