Tuesday, 5 April 2011


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - देवता बनना है तो अमृत पियो और पिलाओ, अमृत पीने वाले ही श्रेष्ठाचारी बनते हैं''


प्रश्न: इस समय सतयुगी प्रजा किस आधार पर तैयार हो रही है?


उत्तर: जो इस ज्ञान से प्रभावित होते हैं, बहुत अच्छा, बहुत अच्छा कहते हैं लेकिन पढ़ाई नहीं पढ़ते, मेहनत नहीं कर सकते, वह प्रजा बन जाते हैं। प्रभावित होना माना प्रजा बनना। सूर्यवंशी राजा-रानी बनने के लिए तो मेहनत चाहिए। पढ़ाई पर पूरा अटेन्शन हो। याद करते और कराते रहें तो ऊंच पद मिल सकता है।


गीत:- तूने रात गँवाई सो के....


धारणा के लिए मुख्य सार: 


1) पारसबुद्धि बनने के लिए पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है। श्रीमत पर पढ़ना और पढ़ाना है। हद की साहूकारी का नशा, फैशन आदि छोड़ इस बेहद सेवा में लग जाना है।


2) हियर नो ईविल, सी नो ईविल....कोई भी व्यर्थ बातें नहीं करनी हैं। किसी पर प्रभावित नहीं होना है। सबको सत्य नारायण की छोटी सी कहानी सुनानी है।


वरदान: सहन शक्ति की विशेषता द्वारा दूसरे के संस्कारों को परिवर्तन करने वाले दृढ़ संकल्पधारी भव


जैसे ब्रह्मा बाप ने ज्ञानी और अज्ञानी आत्माओं द्वारा इनसल्ट सहन कर उसे परिवर्तन किया तो फालो फादर करो, इसके लिए अपने संकल्पों में सिर्फ दृढ़ता को धारण करो। यह नहीं सोचो कि कहाँ तक होगा। सिर्फ थोड़ा पहले लगता है कैसे होगा, कहाँ तक सहन करेंगे। लेकिन अगर आपके लिए कोई कुछ बोलता भी है तो आप चुप रहो, सहन कर लो तो वह भी बदल जायेगा। सिर्फ दिलशिकस्त नहीं बनो।


स्लोगन: संगम पर सहन कर लेना, झुक जाना, यही सबसे बड़ी महानता है। 


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