12-04-11 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''बापदादा'' मधुबन
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम ईश्वरीय सैलवेशन आर्मी हो, तुम्हें सबको सद्गति देनी है, सबकी प्रीत एक बाप से जुटानी है''
प्रश्न: मनुष्य अपना अक्ल किस बात में लगाते हैं और तुम्हें अपना अक्ल कहाँ लगाना है?
उत्तर: मनुष्य तो अपना अक्ल आकाश और सृष्टि का अन्त पाने में लगा रहे हैं लेकिन इससे तो कोई फायदा नहीं। इसका अन्त तो मिल नहीं सकता। तुम बच्चे अपना अक्ल लगाते हो - पूज्य बनने में। उन्हें दुनिया नहीं पूजेगी। तुम बच्चे तो पूज्य देवता बनते हो।
गीत:- तुम्हें पाके हमने...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) और सबसे बुद्धि की प्रीत तोड़ एक बाप से जोड़नी है और सबकी प्रीत एक बाप से जुड़ाने की सेवा करनी है।
2) सच्चा-सच्चा रूहानी खिदमतगार बनना है। अपना भी कल्याण करना है और दूसरों को भी रास्ता बताना है। अवस्था बहुत खुशमिज़ाज बनानी है।
वरदान: आपस में एक दो की विशेषता देखने और वर्णन करने वाले श्रेष्ठता सम्पन्न होलीहंस भव
संगमयुग पर हर बच्चे को नॉलेज द्वारा कोई न कोई विशेष गुण अवश्य प्राप्त है, इसलिए होलीहंस बन हर एक की विशेषता को देखो और वर्णन करो। जिस समय किसी की कमजोरी देखते या सुनते हो तो समझना चाहिए कि यह कमजोरी इनकी नहीं, मेरी है क्योंकि हम सब एक ही बाप के, एक ही परिवार के, एक ही माला के मणके हैं। जैसे अपनी कमजोरी को प्रसिद्ध नहीं करना चाहते ऐसे दूसरे की कमजोरी का भी वर्णन नहीं करो। होलीहंस माना विशेषताओं को ग्रहण करना और कमजोरियों को मिटाना।
स्लोगन: समय को बचाने वाले तीव्र पुरूषार्थी ही सदा विजयी हैं।
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