Friday, 1 April 2011

आजकी मुरली

 [01-04-2011]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम अभी सत्य बाप द्वारा सच्ची बातें सुन सोझरे में आये हो तो तुम्हारा कर्तव्य है सबको अन्धियारे से निकाल सोझरे में लाना''
प्रश्न: जब तुम बच्चे किसी को ज्ञान सुनाते हो तो कौन सी एक बात जरूर याद रखो?
उत्तर: मुख से बार-बार बाबा बाबा कहते रहो, इससे अपना-पन समाप्त हो जायेगा। वर्सा भी याद रहेगा। बाबा कहने से सर्वव्यापी का ज्ञान पहले से ही खत्म हो जाता है। अगर कोई कहे भगवान सर्वव्यापी है तो बोलो बाप सबके अन्दर कैसे हो सकता है!
गीत:- आज अन्धेरे में है इंसान...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सिर पर जो पापों का बोझ है उसे योग अग्नि से भस्म करना है। बुध्दि से देह सहित देह के सब सम्बन्ध छोड़ एक बाप को याद करना है।
2) पुकारने वा चिल्लाने के बजाए अपने शान्त स्वधर्म में स्थित रहना है, शान्ति गले का हार है। देह-अभिमान में आकर 'मैं' और 'मेरा' शब्द नहीं कहना है, स्वयं को आत्मा निश्चय करना है।
वरदान: हद की जिम्मेवारियों को बेहद में परिवर्तन करने वाले स्मृति स्वरूप नष्टोमोहा भव
नष्टोमोहा बनने के लिए सिर्फ अपने स्मृति स्वरूप को परिवर्तन करो। मोह तब आता है जब यह स्मृति रहती है कि हम गृहस्थी हैं, हमारा घर, हमारा सम्बन्ध है। अब इस हद की जिम्मेवारी को बेहद की जिम्मेवारी में परिवर्तन कर दो। बेहद की जिम्मेवारी निभायेंगे तो हद की स्वत: पूरी हो जायेगी। लेकिन यदि बेहद की जिम्मेवारी को भूल सिर्फ हद की जिम्मेवारी निभाते हो तो उसे और ही बिगाड़ते हो क्योंकि वह फर्ज, मोह का मर्ज हो जाता है इसलिए अपने स्मृति स्वरूप को परिवर्तन कर नष्टोमोहा बनो।
स्लोगन: ऐसी तीव्र उड़ान भरो जो बातों रूपी बादल सेकण्ड में क्रास हो जाएं।

No comments:

Post a Comment