Tuesday, 29 March 2011




 
 
 
 
HMS - 29-03-2011


मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - संगदोष से बचकर पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान दो तो कोई भी तूफान आ नहीं सकते, बाकी माया को दोषी मत बनाओ'' 
प्रश्न: कौन सी एक बात सदा ध्यान पर रखो तो बेड़ा पार हो जायेगा? 
उत्तर: ''बाबा आपका जो हुक्म'', ऐसे सदा बाप के हुक्म पर चलते रहो तो तुम्हारा बेड़ा पार हो जायेगा। हुक्म पर चलने वाले माया के वार से बच जाते हैं, बुद्धि का ताला खुल जाता है। अपार खुशी रहती है। कोई भी उल्टा कर्म नहीं होता है। 
गीत:- तुम्हें पाके हमने...... 
धारणा के लिए मुख्य सार :- 
1) बाप टीचर सतगुरू द्वारा जो शिक्षायें मिलती हैं उन पर चलना है। माया को दोष न देकर अपनी कमियों की जांच कर उन्हें निकालना है। 
2) अहंकार का त्याग कर अपनी पढ़ाई में मस्त रहना है। कभी दूसरों से सेवा नहीं लेनी है। संगदोष से बहुत-बहुत सम्भाल करनी है। 
वरदान: साथी और साक्षीपन की स्मृति द्वारा सब बन्धनों से मुक्त होने वाले सर्व शक्ति सम्पन्न भव 
सर्व शक्तियों से सम्पन्न बन अधीनता से परे होने के लिए दो शब्द सदा याद रहें - एक साक्षी दूसरा-साथी। इससे बन्धनमुक्त अवस्था जल्दी बन जायेगी। सर्वशक्तिवान बाप का साथ है तो सर्व शक्तियां स्वत: प्राप्म हो जाती हैं और साक्षी बनकर चलने से कोई भी बन्धन में फंसेंगे नहीं। निमित्त मात्र इस शरीर में रहकर कर्तव्य किया और साक्षी हो गये - इसका विशेष अभ्यास बढ़ाओ। 
स्लोगन: अशुद्ध और शुद्ध दोनों की युद्ध है तो ब्राह्मण के बजाए क्षत्रिय हो। 




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