Hindi Murli -
05-02-2013मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - श्री श्री की श्रेष्ठ मत पर चलने से ही तुम नर सेश्री नारायण बनेंगे,निश्चय में ही विजय है''प्रश्न:- ईश्वर की डायरेक्ट रचना में कौन सी विशेषता अवश्य होनी चाहिए?उत्तर:- सदा हर्षित रहने की। ईश्वर की रचना के मुख से सदैव ज्ञान रत्न निकलतेरहें। चलनबड़ी रॉयल चाहिए। बाप का नाम बदनाम करने वाली चलन न हो। रोना, लड़ना-झगड़ना,उल्टा सुल्टा खाना... यह ईश्वरीय सन्तान के लक्षण नहीं। ईश्वर की सन्तानकहलाने वालेअगर रोते हैं, कोई अकर्तव्य करते हैं, तो बाप की इज्जत गँवाते हैं इसलिएबच्चों को बहुत-बहुतसम्भाल करनी है। सदा ईश्वरीय नशे में हर्षितमुख रहना है।धारणा के लिए मुख्य सार :-1) मीठे बाबा और मीठे सुखधाम को याद करना है। इस मायापुरी को बुद्धि से भूलजाना है।2) सर्विस में कभी थकना नहीं है। विजय माला में आने के लिए अथक हो सर्विस करनीहै।शिवबाबा से सच्चा रहना है। कोई भूल-चूक नहीं करनी है। किसी को दु:ख नहीं देनाहै।वरदान:- साइलेन्स की शक्ति द्वारा नई सृष्टि की स्थापना के निमित्त बनने वालेमास्टर शान्ति देवा भवसाइलेन्स की शक्ति जमा करने के लिए इस शरीर से परे अशरीरी हो जाओ। यह साइलेन्सकी शक्तिबहुत महान शक्ति है, इससे नई सृष्टि की स्थापना होती है। तो जो आवाज से परेसाइलेन्स रूप मेंस्थित होंगे वही स्थापना का कार्य कर सकेंगे इसलिए शान्ति देवा अर्थात् शान्तस्वरूप बन अशान्तआत्माओं को शान्ति की किरणें दो। विशेष शान्ति की शक्ति को बढ़ाओ। यही सबसेबड़े से बड़ामहादान है, यही सबसे प्रिय और शक्तिशाली वस्तु है।स्लोगन:- हर आत्मा वा प्रकृति के प्रति शुभ भावना रखना ही विश्व कल्याणकारीबनना है।--
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