Thursday, 25 August 2011




[26-08-2011]

''मीठे बच्चे - अब तक जो कुछ पढ़ा है, उसे भूल एक बाप को याद करो'' 
प्रश्न: भारत पर सतयुगी स्वराज्य स्थापन करने के लिए कौनसा बल चाहिए? 
उत्तर: पवित्रता का बल। तुम सर्वशक्तिवान बाप से योग लगाकर पवित्र बनते हो। यह पवित्रता का ही बल है जिससे सतयुगी स्वराज्य की स्थापना होती है, इसमें लड़ाई आदि की कोई बात नहीं। ज्ञान और योगबल ही पावन दुनिया का मालिक बना देता है। इसी बल से एक मत की स्थापना हो जाती है। 
गीत:- आखिर वह दिन आया आज... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) संगमयुग पर श्रेष्ठ कर्म करके पुरूषोत्तम बनना है। कोई भी ऐसा कर्म नहीं करना है जो कनिष्ट बन जाये। 
2) गुप्त रूप में बाप का मददगार बन भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करनी है। अपने ही तन-मन-धन से भारत को स्वर्ग बनाना है। याद और पवित्रता का बल जमा करना है। 
वरदान: सदा अपने पवित्र स्वरूप में स्थित रह गुण रूपी मोती चुगने वाले होलीहंस भव 
आप होली हंसों का स्वरूप है पवित्र और कर्तव्य है सदैव गुणों रूपी मोती चुगना। अवगुण रूपी कंकड कभी भी बुद्धि में स्वीकार न हो। लेकिन इस कर्तव्य को पालन करने के लिए सदैव एक आज्ञा याद रहे कि न बुरा सोचना है, न बुरा सुनना है, न बुरा देखना है, न बुरा बोलना है.... जो इस आज्ञा को सदा स्मृति में रखते हैं वह सदा सागर के किनारे पर रहते हैं। हंसों का ठिकाना है ही सागर। 
स्लोगन: चलते-फिरते फरिश्ता स्वरूप में रहना-यही ब्रह्मा बाप की दिल-पसन्द गिफ्ट है। 
मन्सा सेवा के लिए 
हर व्यक्ति को, हर बात को पॉजिटिव वृत्ति से देखो, सुनो या सोचो। अच्छा-अच्छा सोचने से अच्छा हो जाता है। अपनी मन्सा वृत्ति अच्छी और पावरफुल बना लो तो खराब भी अच्छा हो जायेगा।