Tuesday, 7 June 2011

[07-06-2011]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप के साथ उड़ने के लिए कम्पलीट प्योर बनो, सम्पूर्ण सरेन्डर हो जाओ, यह देह मेरी नहीं - बिल्कुल अशरीरी बनो''
प्रश्न: ऊंची मंजिल पर पहुँचने के लिए कौन सा डर निकल जाना चाहिए?
उत्तर: कई बच्चे माया के तूफानों से बहुत डरते हैं। कहते हैं बाबा तूफान बहुत हैरान करते हैं इनको रोक लो। बाबा कहते बच्चे यह तो बॉक्सिंग है। उस बॉक्सिंग में भी ऐसा नहीं कि एक ही ओर से वार होता रहे। अगर एक 10 थप्पड़ मारता तो दूसरा 5 जरूर मारेगा, इसलिए तुम्हें डरना नहीं है। महावीर बन विजयी बनना है, तब ऊंची मंजिल पर पहुँच सकेंगे।
गीत:- दर पर आये हैं कसम लेके......
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अब ज्ञानी तू आत्मा बनना है, सिर्फ ज्ञान सुनने सुनाने वाला नहीं। याद की भी मेहनत करनी है। अशरीरी होकर अशरीरी बाप को याद करना है।
2) बाप का बनकर दूसरी सब बातों से ममत्व मिटा देना है। यह देह भी मेरी नहीं। पूरा देही-अभिमानी बन कम्पलीट सरेन्डर होना है।
वरदान:- सदा पुण्य का खाता जमा करने और कराने वाले मास्टर शिक्षक भव
हम मास्टर शिक्षक हैं, मास्टर कहने से बाप स्वत: याद आता है। बनाने वाले की याद आने से स्वयं निमित्त हूँ - यह स्वत: स्मृति में आ जाता है। विशेष स्मृति रहे कि हम पुण्य आत्मा हैं, पुण्य का खाता जमा करना और कराना - यही विशेष सेवा है। पुण्य आत्मा कभी पाप का एक परसेन्ट संकल्प मात्र भी नहीं कर सकती। मास्टर शिक्षक माना सदा पुण्य का खाता जमा करने और कराने वाले, बाप समान।
स्लोगन: संगठन के महत्व को जानने वाले संगठन में ही स्वयं की सेफ्टी का अनुभव करते हैं।